12/03/2009

सब गुस्सा करते है मै घर छोड़ कर जा रहा हूँ




5 comments:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

अरे भाई....शीर्षक से तो मैं डर ही गया था....

Mohammed Umar Kairanvi said...

मैं मनाने चला आया था, भाई तेरे जैसे चले गये तो अपनी दुकान कैसे चलेगी, अब हम निश्चिंत हैं कि बात कुछ और है, यहां पता लगा कि बच्‍चों का भी दिमाग सठिया जाता है, बच्‍चे बूढे बराबर होते हैं न इस लिए,

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

इसीलिए कहते हैं बच्चों को समझना कठिन होता है।
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अदभुत है हमारा शरीर।
अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद कैसे सफल होगा?

चौहान said...

Ghar Chore Kare Ja Rahe Ho Chale Jao Fark Nahi Parta Hai Lekin Blogging Mat Chorna

Udan Tashtari said...

हम तो आपको मनाने आये थे. :) अब चलें.