कुछ ईमेल जो शेयर करने को मन करता है और भी बहुत कुछ जो दिल कहता है जरा करो कुछ हट कर
अरे भाई....शीर्षक से तो मैं डर ही गया था....
मैं मनाने चला आया था, भाई तेरे जैसे चले गये तो अपनी दुकान कैसे चलेगी, अब हम निश्चिंत हैं कि बात कुछ और है, यहां पता लगा कि बच्चों का भी दिमाग सठिया जाता है, बच्चे बूढे बराबर होते हैं न इस लिए,
इसीलिए कहते हैं बच्चों को समझना कठिन होता है।--------अदभुत है हमारा शरीर। अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद कैसे सफल होगा?
Ghar Chore Kare Ja Rahe Ho Chale Jao Fark Nahi Parta Hai Lekin Blogging Mat Chorna
हम तो आपको मनाने आये थे. :) अब चलें.
Post a Comment
5 comments:
अरे भाई....शीर्षक से तो मैं डर ही गया था....
मैं मनाने चला आया था, भाई तेरे जैसे चले गये तो अपनी दुकान कैसे चलेगी, अब हम निश्चिंत हैं कि बात कुछ और है, यहां पता लगा कि बच्चों का भी दिमाग सठिया जाता है, बच्चे बूढे बराबर होते हैं न इस लिए,
इसीलिए कहते हैं बच्चों को समझना कठिन होता है।
--------
अदभुत है हमारा शरीर।
अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद कैसे सफल होगा?
Ghar Chore Kare Ja Rahe Ho Chale Jao Fark Nahi Parta Hai Lekin Blogging Mat Chorna
हम तो आपको मनाने आये थे. :) अब चलें.
Post a Comment