5/08/2007

यह है सबके लिये














































































































वाह क्‍या मछलियाँ है ? आज के नाश्‍ते में तो मजा आ जायेगा। मै मॉंस भक्षी तो हूँ नही जिन बन्‍धुओं को चाहिये न्‍यूनतम दरों पर उपलब्‍ध है।
उपर तो मैने थोडा मजाक किया है पर सोचिये कि किसी को खाने से हमारी भूख तो मिट सकती है पर उस जीव के अन्‍दर जीने की लालसा का क्‍या होगा ? उसको खाने के बाद आपको स्‍वाद न मिला तो वही बात होगी कि जानवर का जिव जाये और खाने वाले को स्‍वाद न मिले।
क्‍या किसी जीव को अपने स्‍वाद के लिये मारना उचित है ?

4 comments:

Udan Tashtari said...

नाश्ते की इच्छा ही मर गई. आज नाश्ते में आलू खायेंगे बस, यह तय रहा. फोटूआ पसंद आई...कल से अंडे खाया करेंगे.

संजय बेंगाणी said...

तस्वीरे अच्छी है.

Pratik Pandey said...

मछलियों के साथ इतना अत्याचार क्यों किए हो भाई? पेड़-पौधों में भी जान होती है और उन्हें भी हम मार कर खाते हैं। फिर मछलियों को किस ख़ुशी में बख़्शा जाए?

Arun Arora said...

समीर भाईसा अन्डे कैसे खाओगे कल अन्डे की फ़ोटो छापेगे